बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
अथवा
'शिवाजी महान सैन्य विशेषज्ञ थे' इस कथन पर प्रकाश डालते हुए शिवाजी के समय की मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. शिवाजी का दुर्ग निर्माण तथा किलेबन्दी सम्बन्धी कार्यों का उल्लेख कीजिए।
2. सैन्य दृष्टि से शिवाजी का मूल्यांकन कीजिए।
3. मराठा सैन्य पद्धति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
उत्तर-
(Marathas Military System)
मध्य युग के अन्तिम दशक में दक्षिणी भारत में एक अजेय मराठा शक्ति का प्रादुर्भाव हुआ, जिसके नेता शिवाजी थे। शिवाजी ने पूना की जागीर का शासक बनते ही मराठों को संगठित किया। प्रारम्भ में शिवाजी के पास साधनों का अभाव था, इसलिए उन्होंने अपने यौद्धिक अभियानों में कूटनीति से काम लिया। शिवाजी ने पुरन्दर, चाकन तथा कोंकण के किलों पर अधिकार कर लिया। शिवाजी ने प्रारम्भिक लड़ाइयाँ अपने पिता की जागीर के थोड़े से सैनिकों के साथ शुरू की थीं, परन्तु जैसे-जैसे उसके राज्य का विस्तार होता गया। सेना की संख्या भी बढ़ती गई। उसने अपनी सेना में ब्राह्मण से लेकर निम्नतम जातियों के लोगों को भर्ती किया।
एलफिन्टस ने लिखा है कि- "एक शक्तिशाली मराठा सामन्त का पुत्र होकर शिवाजी ने अपना जीवन लुटेरों के एक चालाक तथा साहसी नेता के रूप में प्रारम्भ किया, जो कि एक महान् राजनीतिज्ञ तथा कुशल सेनानायक के रूप में परिषक्व अवस्था को प्राप्त हुआ।"
1. सैन्य संगठन - मराठों की सेना में हिन्दू तथा मुसलमान दोनों ही शामिल थे। शिवाजी की सेना का संगठन निम्नलिखित सैन्य दलों को मिलाकर किया गया था-
(i) पैदल सेना - पैदल सेना की सबसे छोटी यूनिट में दस पैदल सैनिक होते थे। इस यूनिट के 'कमाण्डर को नायक' कहते थे। 5 नायकों और 10 जुमलेदारों पर 'हजारी' पद का अधिकारी होता था। पैदल सेना के सर्वोच्च अधिकारी को सरनोबत कहते थे।
(ii) अश्व सेना - अश्वारोही सेना का संगठन इस प्रकार था सबसे छोटी यूनिट में 25 घुड़सवार ( पगा ) थे। इस यूनिट के कमाण्डर को हवलदार कहते थे। 5 हवलदारों के ऊपर एक 'जुमलेदार' तथा दस जुमलेदारों पर एक 'हजारी का पद होता था। पांच हजारी अधिकारियों के ऊपर पंच हजारी नामक अधिकारी होता था तथा पैदल सेना के सर्वोच्च अधिकारी की तरह अश्वारोही सेना का भी सर्वोच्च अधिकारी 'सरनोबत' कहलाता था। शिवाजी की घुड़सवार सेना में कई सरनोबत थे। अनुमानतः शिवाजी की घुड़सवार सेना में पाँच से अधिक 'सरनोबत' थे।
(iii) गज सेना - मराठा सेना में हाथियों का भी प्रयोग होता था। शिवाजी की सेना में हाथियों का वर्णन नहीं मिलता है। किन्तु मराठा सेना में हाथियों का प्रयोग युद्ध क्षेत्र में भी किया जाता था। प्रायः मराठा सेना में हाथियों का प्रयोग सामान आदि ढोने के लिए किया जाता था। युद्ध क्षेत्र में जाने के लिए सैन्य अधिकारी भी हाथियों की सवारी करते थे।
(iv) नौ सेना - शिवाजी ने नौ सेना के निर्माण में भी विशेष रुचि दिखलाई। मराठा नौ सेना का आरम्भ अनुमानतः 1659 ई० में हुआ। शिवाजी की नौ सेना में विभिन्न प्रकार के लगभग 200 जलयान थे। जिनमें 'धुरव' तथा 'गल्लीवट' नामक जलयान प्रमुख थे। उन जलयानों पर दो प्रकार के सैनिक होते थे. (i) तोपची (ii) साधारण सैनिक। इन सैनिकों का कार्य शत्रु के जलयानों पर धावा बोलकर वहाँ पात करना तथा सामुद्रिक संग्राम के समय शत्रु की नौ सेना से युद्ध करना था।
(v) तोपखाना - शिवाजी के समय में मराठा सेना में तोपखाने का एक स्थाई विभाग था। इन तोपों को यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों से खरीदा जाता था। 1673 ई० में शिवाजी ने फ्रांसीसियों से 88 लोहे की तोपें खरीदी थीं। विदेशी तोपों के अतिरिक्त मराठा सेना में भारत में निर्मित 'जेजल' तथा 'जम्बसक' और 'शुतर्नल' नामक हल्की तोपें भी थीं। परन्तु यूरोपीय तोपों की तुलना में यह तोपें अधिक कारगर नहीं थीं। मराठा सेना में कुशल तोपियों का भी अभाव था। इन तोपों को प्रायः किलों की रक्षा करने में प्रयुक्त किया जाता था।
2. दुर्गों एवं किलों का निर्माण तथा किलेबन्दी - शिवाजी दुर्गों के महत्व को समझते थे। इसीलिए उन्होंने महाराष्ट्र प्रदेश के सभी पुराने किलों पर किसी न किसी तरह अधिकार कर लिया था। शिवाजी ने महाराष्ट्र की पहाड़ियों पर भी दुर्गों एवं किलों का निर्माण करवाया था तथा इन किलों की रक्षा के लिए प्रत्येक दर्रे एवं पर्वतीय मार्ग की रक्षा का पूर्ण प्रबन्ध किया था। इस प्रकार शिवाजी ने संपूर्ण महाराष्ट्र में किलों का जाल सा बिछा रखा था। उनके पास 250 महत्वपूर्ण दुर्ग थे। इनमें पर्याप्त संख्या में सभी प्रकार की सेना रहती थी। किले के अन्दर एक मंदिर और मस्जिद भी था, किले के चारों ओर पहाड़ियों पर कांटेदार झाड़ियाँ होती थीं। ये दुर्ग ही मराठा शक्ति के मुख्य केन्द्र थे।
प्रत्येक दुर्ग की देखभाल के लिए वहाँ एक हवलदार, एक सूबेदार तथा एक प्रभु नामक अधिकारी होता था। इन अधिकारियों पर दुर्ग की समुचित व्यवस्था एवं रक्षा का उत्तरदायित्व होता था। इन तीनों अधिकारियों के काम अलग-अलग थे। किले के अन्दर के काम तीनों की सलाह से होते थे। शिवाजी ने ये तीनों अधिकारी विभिन्न जातियों में नियुक्त किये, जिससे उनके मिल जाने और धोखा देने की संभावना कम हो जाये। प्रत्येक किले में उसकी बनावट तथा आकार के हिसाब से कुछ भाग होते थे और प्रत्येक भाग की देखभाल और रक्षा के लिए अलग-अलग सैनिकों को तैनात किया जाता था। प्रत्येक भाग के सैन्य अधिकारी को 'ततसरनोबत' कहा जाता था।
किलों तथा दुर्गों की सुरक्षा के लिए वहाँ तैनात सैनिकों के पास तलवार, भाले, धनुष-बाण, मेचलॉक तथा बन्दूकें (Musket) होती थीं। किलों की दीवारों पर तोपों को तैनात कर दिया जाता था तथा शत्रु के आक्रमण के समय इन तोपों तथा बन्दूकों से फायर करके शत्रु को आगे बढ़ने से रोका जाता था।
3. अनुशासन एवं युद्ध प्रणाली - शिवाजी बहुत अनुशासनप्रिय थे। उनके युद्ध अभियानों के समय कोई भी सैनिक किसानों तथा धार्मिक स्थलों को नुकसान नहीं पहुँचा सकता था। शत्रु पक्ष की स्त्रियों, ब्राह्मणों एवं धार्मिक पुस्तकों का सम्मान करना आवश्यक था। उनके शिविरों में कोई स्त्री के आने पर पूर्ण प्रतिबन्ध था। जो इन नियमों का उल्लंघन करता था उसे शिवाजी स्वयं कठोर दंड देते थे।
शिवाजी ने सदैव छापामार युद्ध प्रणाली को अपनाया। शिवाजी युद्ध में कूटनीति का सहारा लिया करते थे, जो उनकी सफलता का मूल मंत्र था।
4. गुप्तचर व्यवस्था - मराठा सैन्य पद्धति में गुप्तचर व्यवस्था का भी प्रबन्ध था। शिवाजी की सफलता में उनकी गुप्तचर व्यवस्था का भी बहुत योगदान रहा है। वह अपनी योजनाओं, सेना की गतिविधियों, आक्रमण के स्थान आदि के विषय में शत्रु को तनिक भी पूर्वाभास नहीं होने देते थे। उनके गुप्तचर इधर-उधर फैले हुए थे। जो शत्रु सेना की सभी गतिविधियों व योजनाओं की जानकारी शिवाजी तक पहुँचाते थे।
5. सेना की पूर्ति व्यवस्था (Supply System) - शिवाजी की सेना में कोई सम्भरण विभाग नहीं था। मराठा सैनिक युद्ध के समय बहुत कम साज-सज्जा का सामान व भोजन लेकर चलते थे। घोड़ों के लिए भोजन के रूप में मार्ग की घास-फूस होती थी, उनके लिए अलग से भोजन की व्यवस्था नहीं करनी पड़ती थी। मराठा सैनिक खुले आकाश के नीचे सोते थे। मराठा सेना सिर्फ दो तम्बू लेकर चलती थी एक शिवाजी के लिए और एक उनके प्रमुख सैन्य अधिकारियों के लिए बिना किसी साज-सामान के बिना तोपों के मराठा सैनिक एक स्थान से दूसरे स्थान तक बहुत अधिक गति से पहुंच जाते थे। इस कारण सेना में गतिशीलता का गुण भी था।
6. वेतन एवं पेन्शन - मराठा सैन्य पद्धति में सैनिकों व अधिकारियों को नकद व नियमित वेतन दिया जाता था। सैनिकों व अधिकारियों को केन्द्रीय राजकोष से वेतन दिया जाता था। उन्हें अच्छा और अधिक वेतन दिया जाता था। पैदल सेना के जुमलेदार को 100 हॉन (लगभग 361 रुपये), हजारी को 380 हॉन (लगभग 1000 रुपया) सालाना वेतन मिलता था। अश्वारोही सैनिकों का वेतन पैदल सैनिकों के वेतन से अधिक होता था। अश्वारोही सेना के जुमलेदार को 540 हॉन वार्षिक तथा हजारी को 100 हॉन और पंच हजारी को 2000 हॉन वार्षिक वेतन दिया जाता था।
लड़ाई में मृत्यु हो जाने वाले सैनिकों की विधवा पत्नी अथवा अनाथ बच्चों को उचित पेन्शन देने की व्यवस्था थी। घायल सैनिकों को भी उनके घाव के अनुसार भत्ता दिया जाता था। युद्ध में विशेष वीरतादिखाने वाले सैनिकों व अधिकारियों को इनाम देने का भी प्रबन्ध था।
7. शिवाजी का सैनिक दृष्टिकोण से मूल्यांकन - मराठा शासकों में शिवाजी के जैसे गुणों से संपन्न कोई शासक नहीं हुआ था। शिवाजी एक महान योद्धा व सेनानायक होने के साथ-साथ कुशल राजनीतिज्ञ, महान कूटनीतिज्ञ व कुशल प्रशासक थे। शिवाजी का स्थान भारत के इतिहास में एक महान विजेता के रूप में भी सुरक्षित है। उन्होंने बहुत से युद्धों में अपनी छोटी सी सेना के बल पर अनेक अभूतपूर्व विजय प्राप्त की थीं। शिवाजी एक महान विजेता भी थे। उन्होंने औरंगजेब जैसे शक्तिशाली शासक को भी मानसिक रूप से विचलित कर दिया था, उनके द्वारा संगठित सेना में अनुशासन, आत्मविश्वास तथा साहस जैसे महत्वपूर्ण गुण थे।
डॉ० विन्सेनण्ट स्मिथ आदि कुछ इतिहासकारों का कहना है कि शिवाजी एक लुटेरे थे। परन्तु उनका यह कथन बिल्कुल गलत था शिवाजी लुटेरे नहीं थे। उनके राज्य की आय का साधन प्रारम्भ में बहुत सीमित था, इसलिए राज्य की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वे पड़ोसी राज्यों पर आक्रमण करके वहाँ से पर्याप्त मात्रा में धन तथा खाद्य सामग्री प्राप्त करते थे। लेकिन वह ऐसा कार्य पूर्ण मानवता एवं पवित्रता के साथ करते थे। शिवाजी का उद्देश्य हिन्दू राज्य स्थापित करना था। इस संदर्भ में उन्होंने समकालीन मुगलों जैसी नीति का पालन अवश्य किया था। जदुनाथ सरकार के अनुसार "शिवाजी भारत के अन्तिम राष्ट्र निर्माता थे।"
शिवाजी के कार्यों का मूल्यांकन करते हुए एलफिन्सटन ने लिखा है " यद्यपि वह एक शक्तिशाली सामन्त का पुत्र था, उसने डाकुओं के एक साहसी तथा चालाक कप्तान के रूप में जीवन आरम्भ किया था, फिर भी वह ऐसा चरित्र छोड़ गया जिसकी समान उसके देश का कोई अन्य व्यक्ति न कर सका।" एक बार औरंगजेब ने स्वयं शिवाजी के बारे में कहा था-
वह एक महान सेनानायक थे और केवल वही ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्ति थे जो एक नये साम्राज्य को उठा सकते थे। मेरी सेना लगभग 19 वर्षो से उनके पीछे पड़ी है परन्तु उनका राज्य बराबर प्रगति करता जा रहा है
श्री जदुनाथ सरकार के शब्दों में, "शिवाजी के शासन से पहले मराठा जाति दक्षिण भारत में धूल के कणों को समान बिखरी हुई थी। शिवाजी ने उसे एकत्र करके शक्तिशाली राष्ट्र का रूप प्रदान किया। अन्य किसी हिन्दू शासक ने आधुनिक काल में भी ऐसी योग्यता का प्रदर्शन नहीं किया।"
निष्कर्ष - मराठा सैन्य पद्धति का अध्ययन करने के पश्चात् यह निष्कर्ष निकलता है कि मराठा शक्ति को संगठित करने में शिवाजी का ही हाथ था तथा शिवाजी ने एक हिन्दू स्वराज्य की स्थापना की थी। मराठा सैन्य पद्धति में सबसे महत्वपूर्ण योगदान शिवाजी का ही रहा है। उन्होंने किलेबन्दी, किलों के निर्माण, नौ-सेना के विकास तथा तोपखाने का विकास आदि कार्य उन्होंने ही करवाये तथा मराठा सैन्य शक्ति का विकास किया। तथा संपूर्ण भारत में अपनी योग्यता का परिचय दिया।
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- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य पद्धति एवं युद्धकला का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य एवं पुराणकालीन सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में गुप्तचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए गुप्तचरों के प्रकार तथा कर्मों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- राजदूतों के कर्त्तव्यों का विशेष उल्लेख करते हुए प्राचीन भारत की युद्ध कूटनीति पर एक निबन्ध लिखिये।
- प्रश्न- समय और कालानुकूल कुरुक्षेत्र के युद्ध की अपेक्षा रामायण का युद्ध तुलनात्मक रूप से सीमित व स्थानीय था। कुरुक्षेत्र के युद्ध को तुलनात्मक रूप में सम्पूर्ण और 'असीमित' रूप देने में राजनैतिक तथा सैन्य धारणाओं ने क्या सहयोग दिया? समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक कालीन "दस राजाओं के युद्ध" का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैदिकयुगीन दुर्गों के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वैदिककालीन सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सैन्य पद्धति का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- भारतीय सैन्य पद्धति के अध्ययन के स्रोत कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्धों के वास्तविक कारण क्या होते थे?
- प्रश्न- पौराणिक काल के अष्टांग बलों के नाम लिखिये।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास में कितने प्रकार के राजदूतों का उल्लेख है? मात्र नाम लिखिये।
- प्रश्न- धनुर्वेद के अनुसार आयुधों के वर्गीकरण पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- महाकाव्यों के काल में युद्ध के कौन-कौन से नियम होते थे?
- प्रश्न- महाकाव्यकालीन युद्ध के प्रकार एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वैदिक काल के रण वाद्य यन्त्रों के बारे में लिखिये।
- प्रश्न- वैदिककालीन दस राजाओं के युद्ध का क्या परिणाम हुआ?
- प्रश्न- पौराणिक काल में युद्धों के क्या कारण थे?
- प्रश्न- वैदिक काल की रथ सेना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन काल में अश्व सेना के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारत में राजूदतों के कार्यों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- प्राचीन भारतीय सेना के युद्ध के नियमों को बताइये।
- प्रश्न- किन्हीं तीन प्रकार के प्राचीन हथियार एवं दो प्रकार के कवचों के नाम लिखिए।
- प्रश्न- धर्म युद्ध से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- किलों पर विजय प्राप्त करने की विधियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम (326 ई.पू.) में पोरस की पराजय के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- झेलम के संग्राम से क्या सैन्य शिक्षाएं प्राप्त हुई?
- प्रश्न- झेलम के संग्राम के समय भारत की यौद्धिक स्थिति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर की आक्रमण की योजना की समीक्षा करो।
- प्रश्न- पोरस तथा सिकन्दर की सैन्य शक्ति की तुलनात्मक विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पुरू की सेना का युद्ध किस रूप में प्रारम्भ हुआ?
- प्रश्न- सिकन्दर तथा पोरस की सेना को कितनी क्षति उठानी पड़ी?
- प्रश्न- कौटिल्य के अर्थशास्त्र में वर्णित सैन्य पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार मौर्यकालीन युद्ध कला एवं सैन्य संगठन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य कौन था? उसकी पुस्तक का नाम लिखिए।
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा वर्णित सैन्य बलों की श्रेणियां लिखिये।
- प्रश्न- कौटिल्य ने अर्थशास्त्र में कितने प्रकार के राजदूतों का वर्णन किया है
- प्रश्न- कौटिल्य के सैन्य संगठन सम्बन्धी विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के व्यूहरचना (Tactical Formatic) सम्बन्धी विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य के द्वारा बताये गये दुगों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कौटिल्य ने युद्ध संचालन के लिए कौन-कौन से विभागों का वर्णन किया है?
- प्रश्न- कौटिल्य द्वारा बताये गये गुप्तचरों के रूप लिखिए।
- प्रश्न- राजपूत सैन्य पद्धति और युद्धकला पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- तराइन के द्वितीय संग्राम (1192 ई०) का वर्णन कीजिए। हमें इस युद्ध से क्या शिक्षाएँ मिलती हैं?
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध ( 1192 ई०) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- तराइन के युद्ध की सैन्य शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- "राजपूतों में दुर्गुणों का भी अभाव न था।" इस कथन को साबित कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के सैन्य संगठन और युद्ध कला पर प्रकाश डालिए। बलबन तथा अलाउद्दीन के सैन्य सुधारों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत के पतन के कारणों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- आघात समरतंत्र (Shock Tactics) क्या है?
- प्रश्न- दिल्ली सल्तनत की सैन्य व्यवस्था तथा विस्तार पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- मुगल स्त्रातजी तथा सामरिकी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1526 ई० में पानीपत के प्रथम संग्राम का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगलों की सेना में कितने प्रकार के सैनिक थे?
- प्रश्न- मुगल सैन्य पद्धति के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सेना के वह मुख्य भाग क्या थे? जिन पर मुगलों की विजय आधारित थी? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल तोपखाने पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- युद्ध क्षेत्र में मुगल सेना की रचना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मुगल काल में अश्वारोही सैनिक कितने प्रकार के होते थे?
- प्रश्न- तोप और अश्वारोही सेना मुगलकालीन सेना के मुख्य सेनांग थे जिनके ऊपर उन्हें विजय प्राप्त करने का विश्वास था। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- खानवा की लड़ाई (1527 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- राजपूतों की युद्ध कला पर संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- राजपूतों का सैन्य संगठन कैसा था?
- प्रश्न- राजपूतों के गुणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- राजपूतों में दुर्गणों का भी अभाव न था। इस कथन को साबित करिये।
- प्रश्न- तराइन के दूसरे युद्ध (1192 ई.) में राजपूतों की पराजय तथा मुसलमानों की विजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- 1527 ई० की खानवा की लड़ाई में राजपूतों और मुगलों की तुलनात्मक सैन्य शक्ति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 17वीं शताब्दी में मराठा शक्ति के उत्कर्ष के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा सेनाओं की युद्ध कला एवं संगठन का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे संग्राम (1761 ई०) का सचित्र वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मराठा शक्ति के उदय पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- शिवाजी के समय मराठों का सैन्य संगठन का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- मराठों की युद्धकला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- मराठा सैनिकों के सैन्य गुणों को बताइये।
- प्रश्न- शिवाजी के सैन्य गुणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध ( 1761 ई०) में मराठों और अफगानों की सैन्य शक्ति का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तृतीय युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- पानीपत के तीसरे युद्ध (1761 ई.) में मराठों की पराजय के प्रमुख कारण लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य पद्धति, युद्ध कला तथा संगठन का पूर्ण विवरण दीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह के पूर्व सिक्ख सैन्य पद्धति की प्रमुख विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- "रणजीत सिंह भारत का गुस्तावस एडोल्फस माना जाता है। इस कथन के संदर्भ में रणजीत सिंह द्वारा सिक्ख सेना के किये गये विभिन्न सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के संग्राम (1864 ई०) का वर्णन करते हुए सिक्ख सेना की पराजय के कारण बताइये।
- प्रश्न- दल खालसा पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सिक्ख सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह ने सिक्खों को सैनिक क्षेत्र में क्या योगदान दिये?
- प्रश्न- सिक्खों के सेनांग का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह से पूर्व सिक्खों के समरतंत्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- खालसा युद्ध कला पर लिखिये।
- प्रश्न- महाराजा रणजीत सिंह के तोपखाने का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध (1846) में सिक्खों की मोर्चे बन्दी का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सोबरांव के युद्ध में सिक्खों की पराजय के क्या कारण थे?
- प्रश्न- सिक्ख दल खालसा का युद्ध के समय क्या महत्व था?
- प्रश्न- ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति का वर्णन कीजिए तथा 1857 ई. के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के कारण बताइये।
- प्रश्न- सन् 1858 से लेकर सन् 1918 तक अंग्रेजों के अधीन भारतीय सेना के संगठन तथा विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतंत्रता पश्चात् सशस्त्र सेनाओं के भारतीयकरण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सेना के भारतीयकरण में मोतीलाल नेहरु की रिपोर्ट का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 1939-45 के मध्य भारतीय सशस्त्र सेनाओं के विस्तार और भारतीयकरण का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भारतीय नभ शक्ति की विशेषताओं तथा कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय कवचयुक्त सेना पर एक संक्षिप्त निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सैन्य संगठन की रचना एवं तत्वों का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय थल सेना के अंगों का विस्तृत विवरण दीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए एक शक्तिशाली नौसेना क्यों आवश्यक है? नौसेना के युद्ध कालीन कार्य बताइए।
- प्रश्न- भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के सैन्य संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- लार्ड क्लाइव ने सेना में क्या-क्या सुधार किये?
- प्रश्न- लार्ड कार्नवालिस के सैन्य सुधारों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कमाण्डर-इन-चीफ लार्ड रॉलिन्सन ने क्या सुधार किये?
- प्रश्न- कम्पनी सेना की स्थापना के क्या कारण थे?
- प्रश्न- प्रेसीडेन्सी सेनाओं के विकास का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- क्राउनकालीन भारतीय सेना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिशकालीन भारतीय सेना को किन कारणों से राष्ट्रीय सेना नहीं कहा जा सकता?
- प्रश्न- भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- ब्रह्मोस क्या है?
- प्रश्न- भारत की नाभिकीय नीति का संक्षेप में विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- भारत ने व्यापक परीक्षण प्रतिबन्ध सन्धि (CTBT) पर हस्ताक्षर क्यों नहीं किया है?
- प्रश्न- पोखरन-II परीक्षणों में भारत ने किस प्रकार के अस्त्रों की क्षमता का परिचय दिया था?
- प्रश्न- भारत की प्रतिरक्षात्मक तैयारी का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय वायु सेना के संगठन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय वायुसेना पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- भारतीय स्थल सेना की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वायुसेना का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- भारत की स्थल सेना के कमाण्ड्स के नाम व उनके मुख्यालय लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम भारत-पाक युद्ध या कश्मीर युद्ध (1947-48) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वतन्त्रता के पश्चात् भारतीय सेनाओं द्वारा लड़े गये युद्धों का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 1948 के भारत-पाक युद्ध में स्थल सेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कश्मीर विवाद 1948 में सैन्य कार्यवाही के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 1948 का युद्ध भारत पर अचानक आक्रमण था। कैसे?
- प्रश्न- कश्मीर सैन्य कार्यवाही, 1948 के राजनैतिक परिणाम क्या थे? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारतीय उपमहाद्वीप में शान्ति भारत-पाक सम्बन्धों पर अवलम्बित है।" इस कथन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1948 में संयुक्त राष्ट्र की भूमिका।
- प्रश्न- 1962 में चीन के विरुद्ध भारत की सैनिक असफलताओं के कारण बताइए।
- प्रश्न- 1948 तथा 1962 के युद्धों में प्रयुक्त समरनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सन्दर्भ में तिब्बत की सुरक्षा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-चीन युद्ध 1962 में वायुसेना की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत-चीन संघर्ष, 1962 ने भारतीय सेना की कमजोरियों को उजागर किया। समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- नदी बाहुल्य क्षेत्र में वायुसेना की महत्ता समझाइये।
- प्रश्न- "भारत में रक्षा अनुसंधान एवं रेखास संगठन की भूमिका' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 1965 में भारत और पाकिस्तान के मध्य हुए युद्ध का विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के भारत-पाक संघर्ष के प्रमुख कारणों को आंकलित कीजिए।
- प्रश्न- 1965 के कच्छ के विवाद पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौता क्यों हुआ? स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- मरुस्थल के युद्ध की समस्याएँ लिखिए।
- प्रश्न- कच्छ के रन का रेखाचित्र बनाइये।
- प्रश्न- कच्छ के रण का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- ताशकन्द समझौते के मुख्य प्रस्तावों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- कच्छ सैन्य अभियान पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत-पाक युद्ध 1971 का वर्णन कीजिए तथा युद्ध के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 1971 के युद्ध में जैसोर तथा ढाका की घेराबन्दी अभियान तथा ढाका के आत्मसमर्पण का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के लिए कारगिल क्यों महत्वपूर्ण है?
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 की उत्पत्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की आक्रामक कार्यवाही का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल संघर्ष 1999 के कारणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध के पीछे पाकिस्तान की मंशा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध (1999) के समय भारतीय सेनाओं के समक्ष आई समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- कारगिल युद्ध 1999 में भारतीय वायुसेना की भूमिका पर प्रकाश डालिए।
- 1 - वैदिक एवं महाकाव्यकालीन सैन्य व्यवस्था (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 2 - झेलम संग्राम - 326 ई. पू. (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 3- कौटिल्य का युद्ध दर्शन (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 4 - तुर्क एवं राजपूत सैन्य पद्धति : तराइन का युद्ध (1192 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 5- सैन्य संगठन एवं सल्तनत काल की सैन्य पद्धति (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 6 - मुगल सैन्य पद्धति : पानीपत का प्रथम संग्राम (1526 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 7- राजपूत सैन्य संगठन, शस्त्र प्रणाली एवं खानवा का संग्राम (1527 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 8- मराठा सैन्य पद्धति एवं पानीपत का तीसरा युद्ध (1761 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्नऋ
- उत्तरमाला
- 9 - सिक्ख सैन्य प्रणाली एवं सोबरांव का युद्ध (1846 ईस्वी) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 10 - ईस्ट इण्डिया कम्पनी की सैन्य पद्धति, 1858-1947 ईस्वी तक (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 11- प्रथम भारत पाक युद्ध (1947-48) (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 12 - भारत-चीन युद्ध 1962 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 13 - भारत-पाकिस्तान युद्ध - 1985 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 14- बांग्लादेश की स्वतन्त्रता - 1971 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला
- 15 - कारगिल संघर्ष - 1999 (वस्तुनिष्ठ प्रश्न)
- उत्तरमाला